मुदत बाद मिले हम और उसने कहा ” तुझे भुल जाना चाहती हूँ मैं…. ”
आसूं आ गए आखों में ये सोच कर कि इसे अबतक याद हुं मैं…
गुलाब ऐसे ही लाजवाब नहीं होता यारों...
यह अदा तो काँटों मे पलने के बाद आती है .....
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कभी तुम पूछ लेना, ...
कभी हम भी ज़िक्र कर लेगें
💗💗
छुपाकर दिल के दर्द को,
एक दूसरे की फ़िक्र कर लेंगे
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ये दिल की दास्ताँ भी कुछ अजीब सी हैं...
अगर कही लग जाए तो फिर कही लगता नहीं ..!!
एक अजीब सा मंजर नजर आता है,
हर एक आँसू संमनद नजर आता है,
कहां रखुं मैं शीशे सा दिल अपना,
हर किसी के हाथ में पत्थर नजर आता है.
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